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क्या आपके विचार सच में आपकी हकीकत बनाते हैं? एक हैरान करने वाला सिद्धांत

 

क्या आपके विचार सच में आपकी हकीकत बनाते हैं? एक हैरान करने वाला सिद्धांत

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके विचारों में आपकी दुनिया को बदलने की कितनी ताकत है? क्या यह संभव है कि हमारी सोच केवल हमारे मूड को ही नहीं, बल्कि हमारे आस-पास की वास्तविक दुनिया को भी आकार देती हो?

इस लेख में, हम कुछ ऐसे ही शक्तिशाली और सहज-ज्ञान के विपरीत सिद्धांतों की खोज करेंगे जो बताते हैं कि हकीकत कैसे बनती है। यह दर्शन इस विचार पर आधारित है कि निराकार पदार्थ से मूर्त संपत्ति बनाने की एकमात्र शक्ति विचार ही है। आइए, इस गहरे सिद्धांत से निकले सबसे प्रभावशाली निष्कर्षों को एक स्पष्ट सूची में समझते हैं।

1. ब्रह्मांड का ताना-बाना एक सोचने वाले, चेतन पदार्थ से बना है

इस दर्शन का मूल आधार यह है कि हर चीज़ एक ही "मूल निराकार पदार्थ" या "सोचने वाले पदार्थ" से बनी है। यह कोई मृत या निष्क्रिय पदार्थ नहीं है, बल्कि यह स्वाभाविक रूप से बुद्धिमान है और सोचता है। ब्रह्मांड में मौजूद हर रूप और प्रक्रिया, प्रकृति में दिखने वाले हर पेड़-पौधे से लेकर ग्रहों की गति तक, इसी मूल पदार्थ के एक विचार की भौतिक अभिव्यक्ति है।

यह पदार्थ अपने विचारों के अनुसार ही गति करता है। उदाहरण के लिए, एक ओक के पेड़ का विचार इस पदार्थ को तुरंत एक पूर्ण विकसित पेड़ बनाने का कारण नहीं बनता, बल्कि यह उन शक्तियों को गति में डालता है जो विकास की स्थापित प्रक्रियाओं के माध्यम से धीरे-धीरे उस पेड़ का निर्माण करती हैं, भले ही इस काम में सदियाँ लग जाएं।

जिस पदार्थ से सभी चीजें बनी हैं, वह एक ऐसा पदार्थ है जो सोचता है, और इस पदार्थ में किसी रूप का विचार उस रूप को उत्पन्न करता है।

2. आपके विचार सिर्फ हकीकत को प्रभावित नहीं करते—वे इसे बनाते हैं

यह सिद्धांत "सकारात्मक सोच" से कहीं ज़्यादा गहरा है। इसके अनुसार, जब कोई विचार इस सोचने वाले पदार्थ में रखा जाता है, तो यह सीधे उस चीज़ के निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर देता है जिसकी कल्पना की गई है। आपका विचार एक ब्लूप्रिंट की तरह काम करता है।

जबकि कुछ विचार, जैसे कि ओक का पेड़, स्थापित प्रक्रियाओं के माध्यम से धीरे-धीरे साकार होते हैं, वहीं अन्य विचार मौजूदा ऊर्जाओं को मोड़कर बहुत तेजी से हकीकत बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि एक निश्चित बनावट वाले घर का विचार उस निराकार पदार्थ पर डाला जाए, तो यह विचार व्यापार और वाणिज्य में पहले से काम कर रही रचनात्मक ऊर्जाओं को इस तरह मोड़ देगा कि घर का निर्माण तेजी से हो जाएगा। और अगर कोई मौजूदा चैनल न हो, तो वह घर सीधे मूल पदार्थ से ही बन जाएगा। विचार को हकीकत बनने से कोई नहीं रोक सकता।

मनुष्य अपने विचार में चीजों का रूप बना सकता है और अपने विचार को निराकार पदार्थ पर छापकर, वह जिस चीज के बारे में सोचता है, उसे बनवा सकता है।

3. दुनिया का सबसे मुश्किल काम शारीरिक नहीं, मानसिक है

यह एक चौंकाने वाला दावा है, लेकिन लेखक का तर्क है कि "निरंतर और सिलसिलेवार विचार" करना दुनिया का सबसे कठिन काम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम स्वाभाविक रूप से जो देखते हैं, उसी के अनुसार सोचने लगते हैं। गरीबी को देखकर गरीबी के बारे में सोचना आसान है।

लेकिन बाहरी दिखावे की परवाह किए बिना सत्य के बारे में सोचना—अत्यधिक शक्ति और श्रम की मांग करता है। इसका मतलब है बीमारी के बाहरी रूप को देखते हुए भी स्वास्थ्य के सत्य पर टिके रहना; गरीबी के दृश्यों से घिरे होने पर भी अपने मन में प्रचुरता के विचार को बनाए रखना। जो व्यक्ति इस शक्ति को प्राप्त कर लेता है, वह एक "मास्टरमाइंड" बन जाता है और अपनी किस्मत खुद लिख सकता है।

ऐसा कोई श्रम नहीं है जिससे ज्यादातर लोग उतना डरते हों जितना कि वे निरंतर और सिलसिलेवार विचार से डरते हैं। यह दुनिया का सबसे कठिन काम है।

4. आप अब तक दुनिया को बनाने की बजाय सिर्फ बदलते रहे हैं

इस दर्शन के अनुसार, मनुष्य ने अब तक अपनी रचनात्मक क्षमता का पूरी तरह से उपयोग नहीं किया है। हमने अपना सारा प्रयास "शारीरिक श्रम" का उपयोग करके मौजूदा रूपों को बदलने या संशोधित करने में लगाया है। हम प्रकृति से सामग्री लेते हैं और उसे अपने मन में मौजूद विचार के अनुसार एक नया आकार देते हैं।

लेकिन हमने अपने विचारों को सीधे निराकार पदार्थ तक पहुंचाकर नए रूपों का निर्माण करने की कोशिश कभी नहीं की। यह एक कारीगर होने और एक निर्माता होने के बीच का अंतर है। अब तक, हमने केवल मौजूदा लकड़ी को तराशा है, जबकि हमारे पास पूरे जंगल को अस्तित्व में लाने की शक्ति है।

5. देखने से पहले आपको विश्वास करना होगा

इस पूरी प्रक्रिया का शुरुआती और सबसे ज़रूरी कदम इन तीन मौलिक प्रस्तावों को सत्य के रूप में स्वीकार करना है। लेखक के अनुसार, इस पर अटूट विश्वास करना ही वह पहला कदम है जो संदेह और भय को दूर करता है, जिससे रचनात्मक प्रक्रिया बिना किसी बाधा के काम कर पाती है।

ये तीन मौलिक प्रस्ताव हैं:

  • एक सोचने वाला पदार्थ है जिससे सभी चीजें बनी हैं।
  • इस पदार्थ में एक विचार उस चीज को उत्पन्न करता है जिसकी कल्पना की गई है।
  • मनुष्य अपने विचार में चीजों का निर्माण कर सकता है और अपने विचार को निराकार पदार्थ पर छापकर उस चीज का निर्माण करवा सकता है जिसके बारे में वह सोचता है।

अंतिम विचार

यह दर्शन एक गहरा संदेश देता है: अपने विचारों पर महारत हासिल करना ही अपनी रचनात्मक शक्ति को अनलॉक करने और अपने भाग्य को आकार देने की कुंजी है। हम केवल इस दुनिया के दर्शक नहीं हैं; हम इसके सह-निर्माता हैं।

अगर आपको पूरी निश्चितता के साथ पता हो कि आपके विचार ही आपकी हकीकत बनाते हैं, तो आज आप क्या सोचना चुनेंगे?

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