मानव जीवन: एक अमूल्य उपहार और निरंकार पर विश्वास
प्रस्तावना
कहते हैं मनुष्य जन्म बहुत दुर्लभ है। 84 लाख योनियों के बाद यह मानव शरीर मिलता है, जिसमें हमें अपने कर्मों का फल भोगने और मोक्ष प्राप्ति का अवसर मिलता है। लेकिन अगर इस जीवन में भी हम दुखों से घिरे रहते हैं, तो हमारी इच्छा फिर से जन्म लेकर एक बेहतर जीवन जीने की होती है। परंतु क्या यह सही है? क्या हमें इस जन्म में ही अपने दुखों से मुक्ति पाने का प्रयास नहीं करना चाहिए?
मानव जीवन का उद्देश्य
इस जन्म का उद्देश्य सिर्फ सुख-दुख भोगना नहीं, बल्कि आत्मज्ञान प्राप्त करना है। जो व्यक्ति निरंकार (परमात्मा) को जान लेता है, उसके लिए सब कुछ सरल हो जाता है। वह समझ जाता है कि यह संसार एक लीला है और उसका असली घर तो परमात्मा के साथ है। लेकिन फिर भी, कई लोग यह कहते हैं कि निरंकार से कुछ मांगना नहीं चाहिए। क्या यह सही है?
क्या निरंकार से मांगना गलत है?
कुछ लोग मानते हैं कि ईश्वर से कुछ मांगना स्वार्थ है। परंतु, यह विचार पूर्णतः सही नहीं है। अगर आप निरंकार से कुछ मांगेंगे ही नहीं, तो आपको कैसे पता चलेगा कि आपका विश्वास उस पर है? मांगने का अर्थ यह नहीं कि आप केवल सांसारिक सुखों की कामना करें, बल्कि यह कि आप उससे ज्ञान, शक्ति और प्रेम मांगें।
भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है –
"योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्त्वा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।"
(योग में स्थित होकर, आसक्ति को त्यागकर कर्म करो। सफलता-असफलता में समान भाव रखो, यही योग है।)
इसका अर्थ यह है कि हमें निरंकार से मांगते समय निस्वार्थ भाव रखना चाहिए। अगर हम सच्चे मन से उसकी शरण में जाते हैं, तो वह हमारी हर इच्छा पूरी करता है।
निरंकार पर विश्वास ही सच्ची शक्ति है
जब हम निरंकार पर पूर्ण विश्वास करते हैं, तो हमारे सभी डर और चिंताएं समाप्त हो जाती हैं। हमें यह समझना होगा कि वह हमारा सच्चा सहायक है। जैसे एक बच्चा बिना संकोच अपने माता-पिता से सब कुछ मांग लेता है, वैसे ही हमें भी निरंकार से अपनी जरूरतें और इच्छाएं व्यक्त करनी चाहिए।
कबीर दास जी ने कहा है –
"दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय।"
अर्थात, अगर हम सुख में भी ईश्वर को याद रखें, तो दुख हमारे पास आएगा ही नहीं।
निष्कर्ष
मानव जीवन एक अद्भुत उपहार है। इसे व्यर्थ के दुखों और इच्छाओं में न गवाएं। निरंकार पर पूर्ण विश्वास रखें, उससे मांगें, उसकी शरण में जाएं। वह आपकी हर पुकार सुनता है। जिसने सच्चे मन से निरंकार को पहचान लिया, उसके लिए जीवन की हर चुनौती आसान हो जाती है।
याद रखें – "जब तक जीवन है, तब तक आशा है। निरंकार आपके साथ है, बस आपको उस पर विश्वास करना है।"