जीवन में सतगुरु का होना उतना ही आवश्यक है जितना जीवन में प्राण। जब एक व्यक्ति अहंकार और भ्रम से भरी दुनिया में भटकता है, तब सतगुरु की शरण ही उसे सही मार्ग दिखाती है। सतगुरु की कृपा से जीवन में आत्मिक सुंदरता और आनंद का उदय होता है, और व्यक्ति को एक नई दृष्टि से संसार देखने को मिलता है। एक अहंकार से भरा व्यक्ति जब सतगुरु के चरणों में समर्पित होता है, तो उसे अपने अंदर की कमियों का एहसास होता है और वह अपने जीवन को प्रेम, सादगी, और सेवा के मार्ग पर ले आता है।
सतगुरु की रहमत से मिलने वाला यह अनमोल उपहार व्यक्ति के जीवन को प्रकाशमय कर देता है। उसकी सोच, भावनाएँ, और कर्म सभी परिवर्तित हो जाते हैं। जीवन का यह परिवर्तन केवल बाहरी नहीं होता, बल्कि आत्मा के गहरे स्तर तक जाता है। सतगुरु की शिक्षाएं अहंकार को समाप्त कर प्रेम और विनम्रता का भाव जागृत करती हैं।
सतगुरु का मार्गदर्शन एक ऐसा अनुभव है जो हर व्यक्ति को अपने अस्तित्व का सही अर्थ समझाता है और उसे उस परम आनंद की अनुभूति कराता है जिसकी वह सदैव से तलाश में था।
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