"जब तक हम निरंकार प्रभु के सही रूप से दर्शन नहीं कर लेते... तब तक जातिवाद और भेदभाव किसी भी तरीके से हमारे मन से नहीं निकल सकता।
क्यों? क्योंकि जो आपको ब्रह्म ज्ञान दे रहा है, अगर उसके मन में जातिवाद, भेदभाव, अमीरी-गरीबी का भाव हमेशा रहता है, तो वह आपको किसी भी तरीके से ब्रह्म ज्ञान और निरंकार प्रभु के दर्शन नहीं करवा सकता।
आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति, जो स्वयं इन विकृतियों से भरा हुआ है, आपको सच्चे ज्ञान की राह दिखा सकता है?
अगर वह दान-पुण्य का गलत उपयोग कर रहा है, तो यह सिद्ध करता है कि उसके मन में शुद्धता नहीं है। ऐसे ब्रह्म ज्ञान देने वाले महात्मा
के माध्यम से आप सच्चे ब्रह्म ज्ञान को प्राप्त नहीं कर सकते।
इसलिए, सच्चे गुरु की पहचान कीजिए! जो बिना भेदभाव, बिना जातिवाद, अमीरी-गरीबी के भाव के, केवल प्रेम और समानता की बात करता है।
सच्चा ज्ञान वही है जो हमें एक-दूसरे के प्रति आदर और सम्मान सिखाए, जो हमारे मन से इन घृणित विचारों को निकाल फेंके।
निरंकार प्रभु के सच्चे दर्शन के लिए, जातिवाद और भेदभाव को मन से निकालना अनिवार्य है।
अब समय आ गया है कि हम इस समाजिक विकृति को समाप्त करें और सच्चे ब्रह्म ज्ञान की ओर अग्रसर हों।
जागो, और सच्चे ज्ञान की ओर कदम बढ़ाओ।
यही है सच्ची राह, यही है असली ब्रह्म ज्ञान।"