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पांच राज्यों में चुनाव है, और किसान आंदोलन अपने चरम सीमा पर पहुंच रहा है किसानों ने अपनी जगह जनता के दिलों में बना ली है

 नमस्कार दोस्तों

 हमारा देश किसान प्रधान देश है, हमारे देश में  सबसे मेहनती और सबसे ज्यादा दुख को सहन करने वाला  एक समाज अपने लिए और  देश प्रदेश के लिए जी जान लगाकर मेहनत करता है, और देश के लिए  अनाज उगाता है, लेकिन इस तरीके से 200 दिन से ज्यादा अपनी मांगों को लेकर सड़कों की दहलीज पर बैठा हुआ है इसे देखकर यही लगता है कि आने वाले राज्यों के चुनाव कहीं ना कहीं किसानों के मुद्दे को लेकर लड़ा जाए भाजपा सरकार का बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है, इसलिए वर्तमान सरकार किसानों के मुद्दे को हल्के में नहीं लेना चाहिए,

 तरीके से अखिलेश यादव अब चर्चा में बना हुआ एक बात तो सच है कि किसी भी पार्टी से अगर कोई टूट जाएगा तो अखिलेशयादव की पार्टी मैं ही जाएगा,

 किसान आंदोलन चरम सीमा पर जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश का चुनाव नजदीक आता जाएगा, जब जब गरीब तबके पर महंगाई की मार किस प्रकार कर रहे हैं जैसे  उस पर चाबुक चलाए जा रहे हैं,

 और किसान आंदोलन अब बहुत बड़े रूप से देश के अंदर पहचान बना चुका है ,  किसान यही कह रहा है कि महंगाई और बढ़ जाएगी जैसे-जैसे यह कानून लागू होता चला जाएगा गरीब तक का भूखा मरता चला जाए गा,

 और किसान लगातार अपनी आवाज उठाना तो   सीख चुका है,

 अब देखना यह है कि सरकार किसानों की मांगों को चुनाव से पहले पूरी करती है या नहीं,

 जिस तरीके से पश्चिम बंगाल के  के अंदर बहुत बुरी हार का सामना करना पड़ा है, उससे जब जाई हो चुका है कि किसान आंदोलन बहुत बड़ा रूप ले चुका है देश के जनता के दिलों के अंदर , जिसको रोक पाना हर किसी के बस की बात नहीं, अगर अब भी किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आने वाले चुनाव में किसान अपनी ताकत का वोट के रूप में प्रदर्शित कर सकता है, 200 दिन से ज्यादा हो चुके हैं किसान आंदोलन लेकिन कहीं ना कहीं कारण आज भी वही गरीब बैल को  चलाता हुआ शायद इस सोच के साथ उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है, अगर बड़े व्यापारियों के लिए यह कार्य किया गया है तो कहीं ना कहीं देश की गरीब जनता मध्य वर्ग के लोगों के लिए नुकसानदायक होगा, लेकिन किसान की आवाज बन चुका है उन परिवारों के लिए बहुत कम वेतन पर अपना जीवन व्यतीत करते हैं जिस तरीके से आपने देखा होगा सरसों के तेल के दाम  बढ़ते जा रहे हैं उसको देख कर ऐसा लगता है कहीं ना कहीं अगर यह बड़ी कंपनियों के पास सारा आना चला गया तो अपनी मर्जी से आटे के दाम होंगे और गरीब मजदूर और मध्यम वर्ग के परिवार मोहताज हो जाएंगे खाने का इंतजाम करने के लिए, अब देखना यही है क्या होता है किसान किसानों की मांग है, सत्ता परिवर्तन होता है जिस तरीके से  पश्चिम बंगाल में हुआ है वहां पर भाजपा आएगी लेकिन किसान आंदोलन ने पूरी तरीके से पश्चिम बंगाल के चुनाव का माहौल बदल दिया अभी समय है इस भूल को सुधारा जा सकता है आने  वाले पांच राज्यों चुनाव में सफलता प्राप्त करनी है  किसानों की मांगों को पूरा करना होगा


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