नमस्कार दोस्तों
जिस तरीके से आज हमारे देश के अंदर कोरोना की महामारी लगातार बढ़ती जा रही है.
लेकिन जिस तरीके से आज हमारे देश के वासी सड़कों पर घूमते हुए नजर आ रहे हैं अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए सड़कों पर भीड़ भाड़ इलाकों में भागदौड़ करते हुए देखे जा सकते हैं
और जिस प्रकार से कोरोना केस लगातार भारत में आ रहे हैं उसको देखते हुए एक बड़ी सुनामी की तरफ इशारा कर रही है. परंतु जनता के नुमाइंदे अपनी इज्जत को बचाने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी कर रहे हैं बहुत ही सोचने विचारने योग्य है.
पिछली बार की तरह इस बार बड़ा लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए क्योंकि इस बार कोरोना बहुत बड़ी संख्या में फैला है. लेकिन देखा जा रहा है कि राज्य सरकार लोक डाउन लगाकर अपनी बेजती नहीं कराना चाहती है जब केंद्र सरकार से पूछा जाता है कि लोग डाउन लगाया जाए तो वह भी अब पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं वह कह रहे हैं कि हमने राज्य को पावर दे रखी है जबकि यह मेडिकल इमरजेंसी है इसमें सबसे बड़ी भूमिका निभाती है.
जिस तरीके से लगातार निरंतर बड़े-बड़े ओहदे पर बैठे हुए लोग अपनी जान गवा रहे हैं.
उस पर ऐसा ही लगता है कहीं ना कहीं जो बड़े-बड़े लोगों सुविधाएं नहीं मिल पा रही है तो गरीब का तो सवाल ही पैदा नहीं होता सुविधा के लिए.
क्यों आप देश के अंदर 1 लोग डाउन लगाया जाए जिससे जनता को सुरक्षित करने के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है लेकिन फिर भी जनता वोट के लिए ही बनी है इसीलिए देश के अंदर इस समय लॉकडाउन नहीं लगाया जा रहा है जबकि पहले बेमतलब लगा दिया जाए.
देश के लोग निरंतर स्वास्थ्य विभाग की तरह आंख लगाए बैठे हैं, सोचने वाली बात है क्या 1 साल पहले तक वेंटीलेटर का हाहाकार मचा हुआ था वेंटिलेटर वेंटिलेटर वेंटिलेटर उनकी पूर्ति नहीं पाए गलती और राज्य सरकार पर मत रही है