किसान दिल्ली के बॉर्डर पर सर्दी में अपनी जमीनों को बचाने के लिए लगातार आंदोलन में बढ़ोतरी करता जा रहा है लेकिन कहीं ना कहीं राजनीतिक पार्टियां अपना अगला चुनाव बंगाल पर ध्यान दे रहा है बंगाल में बड़ी बड़ी रैलियां हो रही हैं क्योंकि कहीं ना कहीं वही इस समय सबसे बड़ा राजनीतिक पार्टियों के लिए लक्ष्य है हमारा पेट पालने वाले किसान सर्दी में मरे कटे कुछ भी हो सरकार के नुमाइंदों को कोई फर्क नहीं पड़ता है
लगातार किसान अपनी आवाज को उठाना सीख रहा है पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि अगर यह कानून वापस हो जाते हैं तो कहीं ना कहीं किसान की जीत ही होगी और किसान अच्छी तरीके से देश की सेवा तरीके से कर रहा है और तन-मन-धन लगाकर करने लगेगा लेकिन कोई भी सरकार का नुमाइंदा उन तक नहीं पहुंच रहा है क्योंकि इस समय पश्चिम बंगाल के चुनाव पर पूरी तरीके से ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि सरकार पूरी में जो टीमें है सभी विधायक उसी के हैं इसलिए उसे कोई भी नहीं सकता है.
