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कोई टाइटल नहीं

 धारा 370, तीन तलाक, बहुत छोटा सा मुद्दा है शिक्षामित्रों को मान सम्मान

 दोस्तों आप पूरी दुनिया में जा कर घूम कर एक बार आइएगा और आप उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों से मिलेगा और उनसे पूछा कि आप क्या क्या काम कर रहे हैं तो आपको बताएगा कि मैं वह हर काम करता हूं जो स्कूल के अंदर परमानेंट टीचर यानी अध्यापक कर रहा होता है लेकिन जैसे ही उसको वेतन की बारी आती है उसके वेतन में भारी कटौती देखने को मिल जाती है कारण किसी को नहीं पता 20 वर्षों से लगातार यह काम कर रहे हैं और बहुत ही कम वेतन पर कर रहे हैं उसके बाद भी शिक्षामित्रों की आवाज को ना तो कोई सुनता है ना कोई आगे बढ़ाता है लेकिन शिक्षामित्र अपने हौसले के साथ अपनी ईमानदारी के साथ इस पद पर बने रहे हैं क्योंकि वह है शिक्षा के सिपाही क्योंकि कहीं ना कहीं गांव के हर बच्चे को अच्छी तरीके से जानते हैं जिसकी वजह से उनको बच्चों में अपनापन लगता है और कहीं ना कहीं उनके शिक्षा के सुधार के लिए जिस तरीके से 20 वर्षों से काम कर रहे हैं और लगातार करते आ रहे हैं, आज भी कर रहे हैं लेकिन उनकी आवाज को चुनाव के समय नेता प्रतिपक्ष नेता दोनों लगातार दमदार तरीके से उठाते रहे और शिक्षामित्रों के शिक्षामित्रों के परिवारों के वोटों को अपने लिए एक मोहरा बनाते रहे शिक्षामित्र लगातार इन का प्रचार करता रहा और आगे भी करता रहेगा कहीं ना कहीं उसको भी उम्मीद है कि यह राजनेता ही उनको एक मान सम्मान वाले पद तक पहुंचा सकते हैं जहां पर सम्मानित जिंदगी होगी सम्मानित वेतन होगा सम्मानित पद होगा अन्यथा जिस तरीके से शिक्षामित्रों को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है लगातार उनको एक ऐसी नजर से देखा जाता है कि जिस तरीके से स्कूल के अंदर है ही क्यों ,

 लेकिन नेताओं के द्वारा किए गए वादे को सच मानकर लगातार उनको वोट करते रहें और वोट करते रहेंगे कहीं ना कहीं आज भी दिखा रहे हैं मेरा मानना यही है शिक्षामित्रों को मिलकर एक बड़ा संगठन बनाना चाहिए और उनके पदाधिकारियों को सरकार तक पहुंचाना चाहिए ताकि पहुंचने के बाद अपनी आवाज को अच्छी तरीके से उठा उठाएं,

 जब चुनाव के समय उनसे वादे किए गए थे तो क्या उस समय उनके मन में इस तरह की बात नहीं थी कि क्या हम इनके वादों को पूरा कर पाएंगे कि नहीं कर पाएंगे कैसे करेंगे क्यों करेंगे तब करेंगे इस बारे में कोई तारीख का निश्चित नहीं थी लेकिन शिक्षामित्र को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए वही नेता नजर आ रहे हैं लेकिन शिक्षामित्र  कोई फर्क नहीं पड़ता निकाल दिया जाएगा वे आज भी तन मन धन से स्कूल के अंदर पढ़ाने जा रहे हैं बस यही है कि अगर सरकार ने उनको वादा किया है तो उस वादे को निभाना चाहिए


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