आजकल घर-परिवारों में नशे की लत का बढ़ना एक गंभीर समस्या बन चुका है, जो न केवल व्यक्ति के जीवन, बल्कि पूरे परिवार की शांति और समृद्धि को प्रभावित करती है। वास्तु शास्त्र में इस समस्या का मूल कारण घर के ऊर्जा असंतुलन में बताया गया है, जिसके निवारण के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
1. दिशा और कमरे का सही उपयोग
नशे की सामग्री को विसर्जन क्षेत्र में रखें (South-South-West - SSW): यदि घर में कोई व्यक्ति नशे का सामान रखता है, तो उसे दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम (South-South-West - SSW) दिशा में रखें। वास्तु में इस दिशा को 'विसर्जन क्षेत्र' (Disposal Zone) माना जाता है। यहां रखी कोई भी वस्तु धीरे-धीरे जीवन से बाहर हो जाती है और उसका उपयोग कम हो जाता है।
नशा करने वाले व्यक्ति के कमरे का रंग: नशे की लत वाले व्यक्ति के कमरे की दीवारों पर भूरा, नीला या हरा रंग नहीं करवाना चाहिए। इन रंगों से लत खतरनाक स्तर तक पहुँच सकती है। हल्के और सकारात्मक रंगों का प्रयोग करें।
मानसिक शांति के लिए पश्चिम-उत्तर-पश्चिम (WNW): व्यक्ति को पश्चिम-उत्तर-पश्चिम (West-North-West - WNW) दिशा में स्थित शौचालय (Toilet) में दिन में 10 मिनट बैठकर ध्यान (Meditation) या मैनिफेस्टेशन करना चाहिए। यह नशे से दूर रहने में मदद करेगा। ध्यान दें: इस स्थान पर पढ़ाई करना या सोना नशे की लत को बढ़ा सकता है।
पश्चिम दिशा को ब्लॉक करें: यदि घर की पश्चिम दिशा (West) व्यक्ति को एडिक्शन (नशे की लत) की ओर प्रेरित कर रही है, तो इस दिशा को लोहे की पत्ती (Iron strip) या सफेद रंग की टेप से ब्लॉक कर देना चाहिए। इससे काफी हद तक राहत मिल सकती है।
2. ऊर्जा शुद्धता और सकारात्मकता
उत्तर-पूर्व दिशा को स्वच्छ रखें: घर की उत्तर-पूर्व (North-East - NE) दिशा को हमेशा साफ और स्वच्छ रखना चाहिए, क्योंकि इसमें वास्तुदोष होने से परिवार में कई समस्याएँ आ सकती हैं।
नकारात्मक वस्तुएं हटाएँ: घर से पुराने कपड़े, टूटे हुए बर्तन और खराब खिलौने जैसी बेकार चीजें नियमित रूप से हटा दें या दान कर दें। ये चीजें नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
पर्याप्त प्रकाश: घर में पर्याप्त प्राकृतिक रोशनी (Natural Light) का आना बहुत जरूरी है। बंद और अंधेरे स्थान नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशा, रंग और वर्जित वस्तुएं
किसी भी दिशा में शुभ परिणाम पाने के लिए, वहां के तत्व (Element) के अनुसार रंग और वस्तुओं का चयन करना अत्यंत आवश्यक है। यहाँ प्रमुख दिशाओं के लिए वास्तु के सामान्य नियम दिए गए हैं:
दिशा (Direction) | अनुकूल/शुभ रंग (Favorable Color) | क्या नहीं होना चाहिए (What to Avoid) | उपाय (Remedies) |
उत्तर (North) | हरा, हल्का नीला, सफेद | लाल या पीला रंग, रसोई (किचन), अग्नि तत्व से संबंधित वस्तुएं, टॉयलेट। | करियर और नए अवसरों को आकर्षित करने के लिए नीला स्वास्तिक लगाएं। |
पूर्व (East) | सफेद, हल्का हरा या भूरा (यदि उत्तर-पूर्व मुखी हो) | गहरा लाल, काला या गाढ़ा स्लेटी (तनाव का कारण बनते हैं)। | पवित्रता, ज्ञानोदय और नई शुरुआत के लिए सफेद रंग का उपयोग करें। |
पश्चिम (West) | सफेद, क्रीम या कोरल, हल्का नीला | मिट्टी के रंग (अर्थ कलर्स), हरे या भूरे अंडरटोन वाले रंग। | रिश्तों और सामाजिक सम्मान को बढ़ाने के लिए सफेद स्वास्तिक लगाएं। |
उत्तर-पूर्व (North-East) | पीला या सफेद | किसी प्रकार का गड्ढा (सेप्टिक टैंक या भूमिगत पानी का टैंक), गहरा लाल, काला या गाढ़ा स्लेटी रंग। | इस दिशा को हमेशा साफ-सुथरा और हल्का रखना शुभ होता है। |
छत (Ceiling) | सफेद रंग (शांति का प्रतीक) | नीले, काले या ग्रे (भूरे) जैसे गहरे रंग (नकारात्मकता ला सकते हैं)। | छत पर हमेशा सफेद रंग का प्रयोग करना चाहिए। |