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संतु महापुरुषों में फर्क करने वाले संतों के लिए #nirankarivichar

 

संतों और महापुरुषों का सम्मान: एक संत की पहचान

संत महापुरुषों का सम्मान करना, जो इस निरंकार प्रभु का ज्ञान लेकर अपने सतगुरु से जुड़ चुके हैं, हर संत के लिए अत्यंत आवश्यक है। निरंकार प्रभु हर क्षण, हर पल की जानकारी रखते हैं। वह जानते हैं कि आपके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है। इसीलिए हमें यह प्रयास करना चाहिए कि सभी संतों और महापुरुषों को एक समान दृष्टि से देखें।

संत की विशेषता यह है कि वह किसी के पैसे, मान-सम्मान, या बाहरी प्रभावों से प्रभावित नहीं होता। उसका ध्यान केवल निरंकार प्रभु में रहता है, और वह इन महापुरुषों में उसी प्रभु के दर्शन करता है। जब संत इस स्तर पर पहुंच जाता है कि उसे हर व्यक्ति में निरंकार का रूप दिखाई देने लगता है, तब उसके जीवन में खुशियों की बौछार शुरू हो जाती है।

संत का दृष्टिकोण

संत हमेशा सादगी और समर्पण का प्रतीक होता है। वह इस संसार में किसी भी प्रकार की भौतिक वस्तु या उपलब्धि से प्रभावित नहीं होता। उसका सारा ध्यान आत्मा की उन्नति और प्रभु के साथ जुड़ाव पर केंद्रित होता है। ऐसे संत, जो अपनी दृष्टि को केवल निरंकार पर केंद्रित रखते हैं, अपने आसपास के हर व्यक्ति को भी प्रेरणा देते हैं।

संतत्व का महत्व

संत वही है जो अपनी दृष्टि से भेदभाव मिटाकर सभी को समान रूप से देख सके। यह दृष्टि हमें सिखाती है कि हम निरंकार के साक्षात्कार के लिए अपनी सोच को शुद्ध और अपने मन को साफ रखें। जब यह भावना जीवन में प्रकट होती है, तो जीवन में सच्ची शांति और आनंद का अनुभव होता है।

निष्कर्ष

संतों और महापुरुषों का सम्मान और उनके विचारों को अपनाना हमें जीवन के उच्चतम उद्देश्य तक पहुंचने में मदद करता है। निरंकार प्रभु की कृपा से हर व्यक्ति इस दृष्टि को प्राप्त कर सकता है। बस जरूरत है, सतगुरु के मार्गदर्शन को अपने जीवन में शामिल करने की।



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