हमारे देश के न्यूज़ चैनल बड़े-बड़े निशा बड़े-बड़े दलाल मीडिया कर्मी इस समय तालिबान की बहुत फिक्र कर रहे हैं तालिबान की चर्चा इतनी कर रहे हैं जैसे हमारे देश के अंदर किसान आंदोलन तो चल ही नहीं रहा हूं किसान आंदोलन की एक भी खबर नहीं दिखाई दे रही है और तेल पेट्रोल के साथ-साथ सरसों का तेल भी आसमान छू रहा है उसके दाम लेकिन यह किसी को नहीं दिखाई दे रहा मीडिया कर्मी लगातार तालिबान को लेकर रोज 55 कार्यक्रम कर रही है लेकिन जब जब उससे पूछा जाता है किसान आंदोलन का क्या हुआ,
अपने देश के अंदर हो रहे इतने बड़े आंदोलन को बिल्कुल दिखाना नहीं चाहते हैं लेकिन किसान आंदोलन को दिखाने के लिए जिगर भी चाहिए जज्बा भी चाहिए और इमानदारी भी चाहिए,
देखा जाए तो किसान आंदोलन को बिल्कुल भी मीडिया के बड़े-बड़े चैनल क्यों नहीं दिखा रहे हैं, इसकी सबसे बड़ी वजह दलाल मीडिया कर्मी बेरोजगार निकल जाते हैं उसके बाद पूछने वाला कोई नहीं होगा इसलिए दलाली करते रहते हैं, बात होती है तालिबान की तालिबान से ज्यादा हमारे देश ने अफगानिस्तान में पैसा लगाया है डूबता हुआ नजर आ रहा है,
उस पर कोई चर्चा नहीं कर रहा है केवल तालिबान की क्रूरता की कहानियों को जब के सामने लेकर आ रहे हैं, जबकि बताना यह है कि हमारे देश में जो इतनी बड़ी बेरोजगारी फैली हुई है उस पर किस प्रकार से उसका हल निकाला जाए लेकिन फिर भी यह कोई नहीं बोल रहा है मीडिया कर्मी को चाहिए तालिबान जहां पर वह जाकर भी रिपोर्टिंग नहीं कर सकते हैं केवल मीडिया के एक छोटे से रूम में बैठकर अपनी बात को बता रहे हैं
और अगर किसी मुस्लिम ने तालिबान की बढ़ाई कर दी तो समझ लीजिए चुनाव की तैयारी हो गई, और कुत्ते की तरह टूट पड़ते हैं उस पर दलाल मीडिया के कर्मचारी और सोचते हैं कि बस अब कल ही चुनाव हैं और कल हम हिंदू मुस्लिम कर देंगे और उसके बाद हम अपनी पार्टी को जीतेंगे हुए नजर आ रही है,
अपने देशवासियों से मैं यही कहना चाहता हूं कि अपने देश के अंदर युवाओं को रोजगार मिल जाए और किसी भी तरीके से सरकारी संस्थाओं में अगर रोजगार मिलता है तो हमारे देश के युवा ज्यादा खुश हैं,