उत्तर प्रदेश की जनता के लिए जनता दर्शन के कार्यक्रम से एक फायदा तो यह पहुंच चुका है जनता को कि वह अपनी बात मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकते हैं, कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई कर्मचारी अपनी मनमानी कर बैठता है जो कहीं ना कहीं सरकार की नई रणनीतियों की विपरीत कार्य करने लगता है और उसकी आवाज कोई बड़ा अफसर भी नहीं सुनता है जनता के पास आखिरी विकल्प यही रह जाता है कि वह मुख्यमंत्री जी से अपनी बात कह सकें, और वह जनता दर्शन जैसे कार्यक्रम के अंदर ही अपनी बात कह सकता है, जो वास्तव में बहुत ही सराहनीय कदम है लेकिन एक तरफ देखा जाए हजारों की संख्या में शिक्षामित्र लगातार मुख्यमंत्री के ट्विटर अकाउंट पर प्रधानमंत्री जी के ट्विटर अकाउंट पर अपनी फरियाद को रखते रहते हैं, जिससे उन्हें अभी तक किसी भी तरह की सफलता प्राप्त नहीं हुई तो ऐसा क्यों है जिन्होंने अपना आपको शिक्षामित्र कार्य के लिए समर्पित कर दिया है और वही बीड़ा उठा रहे हैं शिक्षामित्र की समस्याओं का तो जनता दर्शन जैसे कार्यक्रम में जाकर शिक्षामित्र की बात को क्यों नहीं रखते हैं,
यह सबसे बड़ी बात है जिस तरीके से शिक्षामित्र यज्ञ करने का कार्यक्रम की तरफ बढ़ रहा है और वह भी अयोध्या में क्या उससे सरकार की छवि पर एक अच्छा प्रभाव पड़ेगा, मीडिया यही कहेगी 4 वर्षों से काम ना करने पर शिक्षामित्रों का उन्होंने अपनाया यज्ञ का फार्मूला क्या इसे सफल हो जाएंगे जबकि सरकार ने जनता दर्शन जैसे कार्यक्रम शुरू कर दिए, वहां पर जाकर अपनी फरियाद को रखना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है, मेरा मानना यही है कि पहले जनता दर्शन में अपनी पर याद रखना चाहिए ताकि पता चल सके कि 25% क्यों नहीं किया जा रहा है शिक्षामित्रों का ऐसी क्या अड़चन आ रही है, शिक्षामित्र के जितने भी नेता है और जितने भी कहते हैं कि हमने शिक्षामित्रों का बीड़ा उठा रखा है क्या उनको जनता दर्शन में जाकर शिक्षामित्र की प्रयास सीधी मुख्यमंत्री जी से नहीं करनी चाहिए करनी चाहिए लेकिन फिर भी शिक्षा मित्र का कोई भी नेता तक नहीं जाता इसे देखकर ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं शिक्षामित्र अपने कार्य को लेकर ज्यादा नाटक बाजी ज्यादा करना चाहते हैं मुख्यमंत्री की तरफ से यह सराहनीय कार्य शुरू किया गया है जनता दर्शन का शिक्षामित्रों को वहां पर जाना चाहिए और अपनी बात को रखना चाहिए ताकि उन्हें पता चल सके कि 25% कार्य किस वजह से जल्द पूरा नहीं हो रहा है