आज किसानों से फिर बात हुई और वह विफल हो गई कुछ लोग कह रहे थे कि
आप सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दीजिए लेकिन किसानों ने कहा हमने सुनी है सरकार हमने
वोट दिया है तो हम सुप्रीम कोर्ट क्यों जाएं हमें तो सरकार से ही लेना है क्योंकि हमने वोट उसे दिया है
इस बात को सुनकर ऐसा लगता है कि जिस तरीके से शिक्षामित्र लगातार अपनी आवाज को कोर्ट के
दायरे में ले जाने की कोशिश करता रहा उसने कभी सरकार से हक से मांगने की कोशिश ही नहीं की है
जिस तरीके से किसान कह रहे हैं कि भैया हमने सरकार को चुना है सरकार से बात मनवा आप ही सकते हैं
दोस्तों इसी तरीके से अगर शिक्षामित्र भी अपनी आवाज को इसी तरीके से उठाना सीख जाएं कहीं ना कहीं एक
बहुत बड़ी क्रांति शिक्षामित्रों के जीवन में आर्थिक बदलाव के रूप में आ सकती है लेकिन किसान का बेटा कहलाने
का पूरा हक रखता है शिक्षामित्र लेकिन किसान की तरह डटे रहने की कोशिश बिल्कुल नहीं कर सकता
पूरे उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्र एकजुट हैं परंतु उनके नेता एकजुट कभी नहीं हो सकते क्योंकि जंतर मंतर पर
जिस तरह की विशाल भीड़ थी एक बार फिर एकत्रित हो पाना नामुमकिन है तो दोस्तों अब देखना यह होगा शिक्षामित्र
अगले चुनाव के दौर में
अपने मान सम्मान को प्राप्त करता है या इन चुनाव की आचार संहिता से पहले अपने मान सम्मान को प्राप्त करता है