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किसानों को सीखना चाहिए शिक्षामित्रों से मांगे मनवाने का तरीका

 नमस्कार दोस्तों 

26 जनवरी को किसान अपनी मांगों को मनवाने के लिए सड़क पर सड़क घूम रहे थे दिल्ली के गलियारों में लेकिन शाम होते होते वह वापस और फिर जहां पर बैठे थे वहीं पर धरना प्रदर्शन फिर से शुरू कर दिया आज मैं किसानों से कहना चाहूंगा आपको उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों से सीखना चाहिए किस तरीके से अपनी मांगों को मनवाने होता है, आप देखेंगे शिक्षामित्र 4 बरस से उनको आश्वासन मिला हुआ है कि उनके वेतनमान में बढ़ोतरी होगी उनकी समस्याएं बिल्कुल ठीक हो जाएंगी लेकिन 4 वर्षों से किसी भी तरीके से उनकी मांगे नहीं मानी जा रही है परंतु गांधीजी के सबसे बड़े और सबसे लोकप्रिय शिष्य के रूप में शिक्षामित्र अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ट्विटर का माध्यम को अपनाते हुए अपनी आवाज को बुलंद करते हुए आप देख सकते हैं रोज हजारों की संख्या में सरकार के बड़े-बड़े नेताओं को ट्विटर से मैसेज किए जाते हैं, लेकिन किसी की हिम्मत नहीं है कि कोई मीडिया का कर्मचारी इन मैसेज को दिखाकर सरकार तक उनकी फरियाद को पहुंचाने में सहायक बन सके मैं किसान से यही कहूंगा कि आपको भी ट्विटर का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि जनता आपके मैसेज पढ़कर आप लोगों पर दया दिखाएं और आपके लिए आवाज उठा रहे हैं जैसे बरस बरस पहले उठा कर दी थी जब पेट्रोल के दाम बढ़ जाया करते थे तो हम ही लोग सड़कों पर लेटा करते थे आज पेट्रोल के दाम सुपर से भी ऊपर हो जाए तब हम तो क्या घर से बाहर नहीं निकले 


शिक्षामित्र की बात शिक्षामित्रों ने अपने केशों का त्याग करते हुए जिम में सबसे बड़ी भागीदारी महिलाओं की थी उस पर एक बहुत बड़ा पूरे देश में आवाज उठाई गई कि महिलाओं ने अपने रोजगार को एक अच्छे सम्मानजनक स्थिति में पहुंचाने के केश का त्याग किया गया. उसके बाद हाई पावर के निर्माता डिप्टी सीएम के द्वारा एक ऐसी पावर कमेटी बनाई गई जिसका बरस बरस से शिक्षामित्र इंतजार कर रहे हैं, मजाल तो हो कोई शिक्षामित्र उस हाई पावर कमेटी के रिजल्ट हो जाने के लिए शिक्षा विभाग में जाए वह कहीं ना कहीं छुपा कर रख दी गई है और उसके बावजूद यह देखा जा रहा है कि केवल मंत्र उच्चारण के साथ हाई पावर कमेटी को जागृत करने में लगे हुए हैं मंत्रों का उच्चारण कुछ इस प्रकार होता है 

राजा महाराजा अधिराज सर्वगुण संपन्न हे हे गरीबों के देवता हम पर कृपा करो समान सहित हम आपके सामने सर झुकाकर नतमस्तक होकर चरण वंदना करते हैं 

तब जाकर लगता है कि कहीं ना कहीं शिक्षामित्र हाई पावर कमेटी के नतीजे को जानना ही नहीं चाहता है वह चाहता है जब कृपा होगी भगवान की या भगवान की इच्छा होगी तब अपने आप सामने आ जाएंगे क्या अब तक हाई पावर कमेटी का निर्माण नहीं हुआ होगा क्या अब तक हाई पावर रिजल्ट को बनाया नहीं गया होगा यह सोचने और विचारने की सबसे बड़ी एक घटना है जहां पर ब्राह्मणों ने अपना 

जनेऊ और महिलाओं ने अपने केशों का त्याग किया 

लेकिन समस्त शिक्षामित्र आने वाली आचार संहिता के कुछ समय पहले अंदाजा लगा कर बैठे हुए हैं हाई पावर का तब आ जाएगा लेकिन यह नहीं सोच रहे हैं कि रोज वह कितने रुपए का नुकसान अपना कर रहे हैं सोचेगा हाई पावर कमेटी का निर्णय जानने के लिए आपको कार्यालय नहीं जाना चाहिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने चाहिए क्या केवल जन्मदिन पर गुलदस्ते ही पहनाने के लिए आप लोग रह चुके हैं

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