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क्या आपके यहां एक ही जगह पर हफ्ते में बहुत अधिक सत्संग होती है, तो फिर कैसे कर पाएंगे विस्तार से असीम की ओर #nirankarisant #santnirankari #nirankarivichar

 सत्संग के प्रचार और विस्तार पर विचार: घर-घर सत्संग का महत्व

महापुरुषों जी, सत्संग के प्रचार और विस्तार का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर आत्मा को निरंकार का अनुभव हो और वह जीवन में शांति व आनंद प्राप्त कर सके। यदि सत्संग केवल एक निश्चित भवन तक सीमित हो जाए, तो यह उद्देश्य सीमित हो सकता है। सत्संग का असली रूप तो यही है कि यह हर घर, हर परिवार, और हर व्यक्ति के जीवन में पहुंचे। आइए इस दिशा में कुछ विचार प्रस्तुत करें:

एक. सत्संग भवन से बाहर सत्संग का आयोजन:

  • हफ्ते में पाँच दिन एक ही भवन पर सत्संग का आयोजन करना, प्रचार के विस्तार में बाधा बन सकता है।
  • इसे बदलकर, हफ्ते में दो या तीन दिन घर-घर सत्संग करने की योजना बनाई जाए।
  • छोटे-छोटे समूहों में सत्संग आयोजित करने से नए लोगों तक पहुँच बनाई जा सकती है।

दो. घर-घर सत्संग का महत्व:

  • नए लोगों की सहभागिता: जो लोग सत्संग भवन तक नहीं पहुँच पाते, वे अपने घर में सत्संग के माध्यम से जुड़ सकते हैं।
  • सहजता और अपनापन: घर का वातावरण सहज और अपनापन लिए होता है, जिससे नए लोग निरंकार के प्रति जल्दी आकर्षित हो सकते हैं।
  • संदेश का व्यापक प्रचार: घर-घर सत्संग से आस-पड़ोस के लोग भी इस दिव्य ज्ञान और प्रेमपूर्ण संदेश का अनुभव कर सकते हैं।

तीन. कार्यक्रम में विविधता:

  • सत्संग भवन पर हफ्ते में केवल दो दिन बड़े सत्संग आयोजित करें, जिसमें सभी श्रद्धालु जुटें।
  • शेष दिनों में छोटे-छोटे समूहों में अलग-अलग स्थानों पर सत्संग करें।
  • युवा और बच्चों के लिए विशेष सत्र रखें, ताकि अगली पीढ़ी भी प्रेरित हो सके।

चार. सेवा, सिमरन और संगत का संतुलन:

  • सेवक और प्रचारक घर-घर जाकर संगत का आयोजन करें और हर स्थान पर सिमरन और विचार साझा करें।
  • निरंकार के प्रचार को केवल सत्संग भवन तक सीमित न रखें, बल्कि इसे प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाने का प्रयास करें।

पाँच. संदेश का प्रचार-प्रसार:

  • सोशल मीडिया, पोस्टर, और व्यक्तिगत निमंत्रण के माध्यम से लोगों को सत्संग में आमंत्रित करें।
  • हर सत्संग में नए लोगों को निरंकार का महत्व समझाने के लिए सरल और प्रभावशाली शब्दों का उपयोग करें।

छह. प्रेरणा के लिए एक संदेश:

  • "सतगुरु माता जी ने हमें यही सिखाया है कि संगत में ही जीवन का असली आनंद है। घर-घर सत्संग केवल प्रचार का माध्यम नहीं, बल्कि निरंकार के प्रति एकता और प्रेम का उत्सव है। आइए, हम सब मिलकर इस दिव्य संदेश को फैलाएं और निरंकार के दर्शन को हर आत्मा तक पहुँचाएं।"

सात. ध्यान रखें:

  • निरंकार प्रचार का विस्तार तभी संभव है जब हम सीमाओं से परे जाकर हर जगह सत्संग करें।
  • घर-घर सत्संग एक साधन है, जिससे हर व्यक्ति के मन को निरंकार का आभास कराया जा सकता है।

धन निरंकार जी।

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