Type Here to Get Search Results !

पुराने संतो को याद करके हमें प्रेरणा मिलती है

पुराने संतों का सम्मान: हमारे इतिहास की नींव

सत्संग का वह पल जब मंच पर बैठे संत ने कहा, "हम कब तक केवल बाबा जी के समय को याद करते रहेंगे?" यह वाक्य हृदय को झकझोरने वाला था। यह एक ऐसा प्रश्न है जो हमें आत्ममंथन करने पर मजबूर करता है। क्या हम केवल अपने इतिहास को संजोने तक सीमित रहेंगे, या उससे प्रेरणा लेकर आगे का मार्ग प्रशस्त करेंगे?

मिशन का इतिहास केवल कहानियों और स्मृतियों का संग्रह नहीं है। यह उन संतों की तपस्या और त्याग का प्रतिबिंब है जिन्होंने कठिनाइयों के बावजूद मिशन को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पुराने संतों ने न केवल हमारे लिए एक मार्ग दिखाया, बल्कि हमें यह भी सिखाया कि ईमानदारी, समर्पण, और सेवा के बल पर कैसे जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।

इतिहास की अहमियत
कहा जाता है, "जिसका इतिहास नहीं, उसका भविष्य नहीं।" इतिहास हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और हमें अपने मूल्यों और संस्कृति की पहचान कराता है। बाबा हरदेव सिंह जी महाराज जैसे महापुरुषों ने अपने कर्मों और विचारों से हमारे जीवन को दिशा दी। ऐसे महापुरुषों का स्मरण केवल आदर का विषय नहीं, बल्कि हमारा कर्तव्य है।

पुराने संतों से प्रेरणा
आज हम जिस आरामदायक जीवन का आनंद ले रहे हैं, वह इन पुराने संतों की कड़ी मेहनत और समर्पण का फल है। उन्होंने अपने समय की कठिनाइयों का सामना करते हुए मिशन को सशक्त बनाया। उनके जीवन की कहानियां हमें सिखाती हैं कि प्रेम, करुणा, और निरंकार के प्रति समर्पण से हर बाधा को पार किया जा सकता है।

भूलने की प्रवृत्ति
लेकिन दुखद है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अपने इतिहास को भुलाने लगे हैं। हम उन संतों का स्मरण नहीं करते जिन्होंने इस मिशन को हमारे लिए जीवित रखा। यदि हम अपने इतिहास को भूल जाएंगे, तो भविष्य में इसे बनाए रखना और भी कठिन हो जाएगा।

नव पीढ़ी का कर्तव्य
आज यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम न केवल पुराने संतों को याद करें, बल्कि उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें। यह केवल स्मरण का विषय नहीं, बल्कि प्रेरणा का विषय है। उनके द्वारा सिखाई गई विनम्रता, एकता, और सेवा भाव को अपने जीवन में स्थान देना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

इसलिए हमें चाहिए कि हम उन संतों की कहानियां सुनाएं, उन्हें अपने बच्चों को बताएं, और उनकी शिक्षाओं का प्रचार करें। इससे न केवल हमारी अगली पीढ़ी को सही दिशा मिलेगी, बल्कि मिशन भी सशक्त बनेगा।

निष्कर्ष
पुराने संत हमारे इतिहास की नींव हैं। उन्हें भुलाना अपने अस्तित्व को भुलाने जैसा है। हमें चाहिए कि हम उनकी शिक्षाओं और उनके जीवन से प्रेरणा लें और मिशन को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करें। उनका स्मरण हमारे लिए प्रेरणा का स्त्रोत है, और यही हमें आगे बढ़ने की शक्ति देता है।

धन निरंकार जी।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

sewa