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सेवा का महत्व,गरीब संतों के लिए बहुत जरूरी है ऐसी सोच रखने वाले

 


कुछ लोग यह सोचते हैं कि सेवा केवल गरीब लोगों के लिए है और वह भी फिजिकल सेवा, जो हाथों से की जाती है। उनका मानना है कि गरीब लोग ही सेवक बनकर यह काम कर सकते हैं। वहीं, अमीर लोग यह सोचते हैं कि वे सेवा के बजाय विचार व्यक्त कर सकते हैं, माइक पर भजन गा सकते हैं, या स्टेज पर बैठकर आयोजन का हिस्सा बन सकते हैं। लेकिन, इस तरह की भावना रखने वाले संतों और महापुरुषों का आध्यात्मिक उन्नति में कोई लाभ नहीं होता।

सेवा का वास्तविक अर्थ है समर्पण, विनम्रता, और निस्वार्थता। यह किसी भेदभाव के बिना सभी के लिए होती है। सेवा का महत्व केवल भौतिक कार्यों तक सीमित नहीं है; यह आत्मा की उन्नति और सतगुरु की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। जो लोग सेवा को केवल एक वर्ग विशेष के लिए मानते हैं, उनके जीवन में आध्यात्मिकता का असली प्रकाश नहीं आ पाता।

बच्चों पर प्रभाव

यह देखा गया है कि जो लोग सेवा से विमुख रहते हैं और इसे दूसरों की जिम्मेदारी मानते हैं, उनके बच्चे भी सत्संग और आध्यात्मिकता से दूर हो जाते हैं। सेवा एक ऐसा गुण है, जो अगली पीढ़ी को सही मार्ग पर ले जा सकता है। यदि माता-पिता सेवा का महत्व समझकर इसे अपने जीवन में अपनाते हैं, तो उनके बच्चे भी इसे सीखते हैं।

निष्कर्ष

सेवा का मार्ग अपनाने से न केवल जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है, बल्कि यह हमारे परिवार और समाज को भी सही दिशा प्रदान करता है। यह जीवन को एक नई ऊर्जा और सकारात्मकता से भर देता है। सेवा केवल गरीबों के लिए नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए है, चाहे वह किसी भी वर्ग, जाति, या स्थिति का हो।


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