अधिकारी बनने की इच्छा और वास्तविक सेवा का महत्व
सेवा एक ऐसा माध्यम है जो हमारे भीतर न केवल परोपकार की भावना जगाता है बल्कि हमें एक बेहतर व्यक्ति बनने का अवसर भी प्रदान करता है। सेवा का मुख्य उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना और जरूरतमंदों की मदद करना होता है। लेकिन जब सेवा में शामिल युवाओं के मन में अधिकारी बनने की इच्छा प्रमुख हो जाती है, तो यह मूल उद्देश्य कहीं खो सा जाता है।
आजकल, सेवा के कई छोटे-छोटे केंद्रों पर ऐसा देखा जा रहा है कि जो युवा सेवा में आते हैं, वे केवल अधिकारी बनने की लालसा रखते हैं। उन्हें यह लगता है कि अधिकारी बनने पर उन्हें सम्मान मिलेगा, उनकी पूछताछ होगी और समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। लेकिन यहां यह समझना आवश्यक है कि सेवा का वास्तविक स्वरूप क्या है और अधिकारी बनने की इच्छा का क्या महत्व है।
1. सेवा का वास्तविक उद्देश्य
सेवा का असली उद्देश्य केवल समाज की भलाई और जरूरतमंदों की मदद करना है। सेवा का मतलब केवल किसी पद को पाना या मान-सम्मान प्राप्त करना नहीं होता। जब हम सेवा में उतरते हैं, तो हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम किसके लिए और क्यों सेवा कर रहे हैं। सेवा करने वाले व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान और समर्पित होना चाहिए, ताकि वह दूसरों की जिंदगी में बदलाव ला सके।
2. अधिकारी बनने की इच्छा: फायदे और नुकसान
अधिकारी बनने की इच्छा रखना गलत नहीं है, लेकिन यदि यह लालसा सेवा के उद्देश्य को पीछे छोड़ देती है, तो यह एक समस्या बन जाती है। अधिकारी बनने की इच्छा से सेवा का महत्व हल्का हो सकता है। जो युवा सेवा में केवल अधिकारी बनने के लिए आते हैं, वे वास्तविक सेवा के अनुभव से वंचित हो सकते हैं।
फायदे: अधिकारी बनने से व्यक्ति को नेतृत्व की क्षमता विकसित करने और व्यवस्था संभालने का अवसर मिलता है। यह व्यक्तिगत विकास के लिए भी अच्छा है।
नुकसान: जब अधिकारी बनने की इच्छा ही प्रमुख हो जाती है, तो सेवा का उद्देश्य पीछे छूट जाता है। यह एक प्रकार की ‘अधिकार प्राप्ति’ की दौड़ बन जाती है, जहां व्यक्ति सेवा के मूल सिद्धांतों से दूर हो जाता है।
3. सेवा में युवा और बुजुर्गों की भूमिका
आजकल देखा गया है कि कई जगहों पर युवा संतो को ऑफिस में बैठाकर सिर्फ बातचीत करने के लिए रखा जाता है, जबकि वास्तविक सेवा कार्यक्षेत्र में बाहर होना चाहिए। इसके विपरीत बुजुर्ग सेवादार, जो सेवा कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित होते हैं, वे बिना किसी पद या सम्मान की चाह के सेवा में लगे रहते हैं। यह अंतर दिखाता है कि सेवा में केवल उपस्थिति या अधिकारी बनने की इच्छा से ज्यादा महत्वपूर्ण है सेवा की भावना।
4. युवाओं के लिए सही दिशा
यह आवश्यक है कि युवाओं को सेवा का सही महत्व सिखाया जाए। उन्हें यह समझना होगा कि सेवा का मतलब केवल किसी पद को पाना नहीं है, बल्कि सेवा का उद्देश्य दूसरों की भलाई करना है। अधिकारी बनना तभी सही होगा जब व्यक्ति सेवा के प्रति समर्पित और निष्ठावान हो।
5. सेवा का सही महत्व समझें
सेवा का सही मूल्य समझने के लिए हमें अपने भीतर यह विचार लाना होगा कि अधिकारी बनना सेवा का अंतिम उद्देश्य नहीं है। सेवा की वास्तविकता यह है कि हम बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की मदद करें। इसलिए, यदि आप सेवा में हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आप सेवा की भावना से प्रेरित हों, न कि केवल अधिकारी बनने की इच्छा से।
निष्कर्ष
सेवा एक महान कार्य है, और इसमें शामिल होना सम्मान की बात है। अधिकारी बनने की इच्छा स्वाभाविक है, लेकिन हमें इसे सेवा के मुख्य उद्देश्य से ऊपर नहीं रखना चाहिए। युवा हों या बुजुर्ग, हर किसी को सेवा का महत्व समझकर निष्ठा और समर्पण के साथ अपना योगदान देना चाहिए। जब हम सच्ची सेवा करते हैं, तभी समाज में वास्तविक बदलाव ला सकते हैं और अपनी आत्मा को संतुष्ट कर सकते हैं।