आज हम बात करेंगे सत्संग, गुरु और सच्चे ज्ञान के बारे में। हम सभी जानते हैं कि सत्संग जीवन को बदलने की ताकत रखता है। सतगुरु के बताए मार्ग पर चलकर हम सुख और शांति पा सकते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कई बार सत्संग का माहौल क्यों बिगड़ जाता है?
आजकल हम देखते हैं कि सत्संग में छोटे-छोटे गुट बन जाते हैं। निंदा, नफरत और वैमनस्य जैसी भावनाएं प्रबल हो जाती हैं। ऐसा क्यों होता है? इसका जवाब है - गुरु गद्दी की लालसा।जब कोई व्यक्ति गुरु गद्दी पर बैठने की चाह रखता है तो वह सत्संग को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करने लगता है। वह अपने विचारों को ही सर्वश्रेष्ठ मानता है और दूसरों के विचारों का अपमान करता है। वह धन, शक्ति और प्रतिष्ठा के पीछे भागता है और सच्चे ज्ञान से भटक जाता है।
गुरु गद्दी एक पवित्र स्थान है। इस पर बैठने वाले व्यक्ति पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। उसे सतगुरु के बताए मार्ग को लोगों तक पहुंचाना होता है। लेकिन जब व्यक्ति इस जिम्मेदारी को भूल जाता है और अपने स्वार्थ के लिए सत्संग का इस्तेमाल करता है तो सत्संग का माहौल बिगड़ जाता है।
सच्चा सत्संग वह है जहां सभी लोग समान हों। जहां किसी तरह का भेदभाव न हो। जहां सभी लोग एक-दूसरे का सम्मान करें। जहां सभी लोग सच्चे ज्ञान की खोज में जुटे हों।
दोस्तों, हमें सच्चे सत्संग की तलाश करनी चाहिए। हमें ऐसे गुरु की शरण में जाना चाहिए जो सच्चे ज्ञान का प्रचार करें। हमें अपने अंदर के अहंकार को मिटाना होगा और सभी के साथ प्रेम और करुणा का भाव रखना होगा।
: आइए, हम सभी मिलकर सत्संग को एक पवित्र स्थान बनाएं। जहां सभी लोग एक-दूसरे का साथ दें और मिलकर आगे बढ़ें।