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ब्रह्म ज्ञान लेने के बाद भी जीवन में सुकून नहीं है ऐसा क्यों

 

ब्रह्मज्ञान और पारिवारिक जीवन: एक संतुलन का प्रश्न

आपका यह सवाल बहुत ही गहरा और विचारोत्तेजक है।

ब्रह्मज्ञान निश्चित रूप से जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य है। यह आध्यात्मिक मुक्ति का मार्ग है, जहां व्यक्ति अपने अस्तित्व के गूढ़ रहस्यों को समझता है और परमात्मा से एकात्मता का अनुभव करता है। लेकिन क्या ब्रह्मज्ञान का अर्थ है कि हमें अपने पारिवारिक दायित्वों को छोड़ देना चाहिए या जीवन के सुखों का त्याग कर देना चाहिए?

आइए इस विषय पर गहराई से विचार करें:

  • ब्रह्मज्ञान और पारिवारिक जीवन में कोई विरोधाभास नहीं है: ब्रह्मज्ञान का उद्देश्य हमें एक बेहतर इंसान बनाना है। एक बेहतर पति, एक बेहतर पत्नी, एक बेहतर माता-पिता और एक बेहतर समाज का सदस्य। ब्रह्मज्ञान हमें शांति, करुणा और प्रेम की शिक्षा देता है, जो कि किसी भी परिवार के लिए आवश्यक गुण हैं।
  • ब्रह्मज्ञान हमें चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है: जीवन में चुनौतियां आती रहती हैं। परिवार में मनमुटाव, बच्चों की परवरिश, आर्थिक समस्याएं, ये सब आम बातें हैं। ब्रह्मज्ञान हमें इन चुनौतियों का सामना करने की शक्ति देता है। यह हमें शांत रहना सिखाता है और हमें सही निर्णय लेने में मदद करता है।
  • ब्रह्मज्ञान हमें जीवन का आनंद लेना सिखाता है: ब्रह्मज्ञान का अर्थ यह नहीं है कि हमें जीवन के सुखों का त्याग कर देना चाहिए। ब्रह्मज्ञान हमें जीवन का आनंद लेना सिखाता है, लेकिन एक संतुलित तरीके से। यह हमें दिखाता है कि सुख और दुःख दोनों ही जीवन का हिस्सा हैं और हमें दोनों को स्वीकार करना चाहिए।

तो फिर सवाल उठता है कि अगर आप सत्संग करते हैं और ब्रह्मज्ञान की खोज में हैं, तो भी आपके परिवार में शांति क्यों नहीं है?

इसका जवाब यह हो सकता है कि:

  • आपका ब्रह्मज्ञान सिर्फ ज्ञान तक सीमित है: ब्रह्मज्ञान सिर्फ ज्ञान नहीं है, बल्कि एक अनुभव है। आपको अपने ज्ञान को अपने जीवन में लागू करना होगा।
  • आप अभी भी अपने अहंकार से जुड़े हुए हैं: ब्रह्मज्ञान का अर्थ है अपने अहंकार को छोड़ना। अगर आप अभी भी अपने अहंकार से जुड़े हुए हैं, तो आप अपने परिवार के लोगों के साथ अच्छे संबंध नहीं बना पाएंगे।
  • आप अपने परिवार के सदस्यों को बदलने की कोशिश कर रहे हैं: आप केवल अपने आप को बदल सकते हैं, दूसरों को नहीं। आपको अपने परिवार के सदस्यों को स्वीकार करना होगा जैसे वे हैं।

निष्कर्ष:

ब्रह्मज्ञान और पारिवारिक जीवन में कोई विरोधाभास नहीं है। ब्रह्मज्ञान हमें एक बेहतर परिवार और एक बेहतर समाज बनाने में मदद कर सकता है। लेकिन इसके लिए हमें अपने ज्ञान को अपने जीवन में लागू करना होगा और अपने अहंकार को छोड़ना होगा।

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