Type Here to Get Search Results !

सत्संग में आर्थिक भेदभाव की सच्चाई

 


सत्संग में आर्थिक भेदभाव की सच्चाई

सत्संग, सेवा और सिमरण का उद्देश्य आत्मा की शांति, आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर से जुड़ाव है। लेकिन यह दुखद है कि आज के समय में सत्संग के संचालन में भी आर्थिक भेदभाव देखा जा सकता है। यह भेदभाव उन लोगों के बीच स्पष्ट रूप से देखा जाता है जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं और जो दिन-प्रतिदिन कमाई करते हैं या छोटा-मोटा कारोबार करते हैं।

आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की अनदेखी

अक्सर देखा गया है कि जिनके पास अपना बड़ा व्यवसाय नहीं है या जो प्रतिदिन की कमाई पर निर्भर हैं, वे सेवा, सिमरण और सत्संग की बातें सबसे अधिक करते हैं। यह लोग स्वयं को बड़ा धर्मात्मा मानते हैं और अपने आप को आध्यात्मिक रूप से उन्नत समझते हैं। लेकिन वास्तविकता यह है कि सत्संग में उन्हीं लोगों की ज्यादा पूछ होती है जो आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं और जिनके पास अधिक पैसा होता है।

सामाजिक और आर्थिक भेदभाव

सत्संग के आयोजनों में गरीब तबके के बुजुर्गों और लोगों को सामने की कुर्सियों पर बैठने का अवसर नहीं मिलता। उन्हें अक्सर पीछे बैठाया जाता है, यह सोचकर कि उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। सत्संग के संचालक अधिकतर पैसे वाले लोगों को ही प्राथमिकता देते हैं, चाहे वे आध्यात्मिक रूप से कितने ही कमजोर क्यों न हों।

निरंकार प्रभु सब देखता है

हम अक्सर सुनते हैं कि निरंकार प्रभु सब कुछ देख रहा है, और उसे सबकी सच्चाई का ज्ञान है। इसके बावजूद, सत्संग के संचालक इस बात को नजरअंदाज करते हुए केवल आर्थिक रूप से समृद्ध लोगों को महत्व देते हैं। यह रवैया न केवल आध्यात्मिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि समाज में और भी अधिक विभाजन पैदा करता है।

हमें क्या करना चाहिए?

  • समानता की पहल: सत्संग के आयोजकों को चाहिए कि वे सभी भक्तों के साथ समान व्यवहार करें, चाहे वे किसी भी आर्थिक पृष्ठभूमि से आते हों।
  • समाज को जागरूक करें: हमें समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए कि सत्संग और धार्मिक गतिविधियों का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ाव है, न कि आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव करना।
  • सेवा भाव को प्रोत्साहन: वास्तविक सेवा और सिमरण उन्हीं का महत्व बढ़ाता है जो इसे निस्वार्थ भाव से करते हैं। हमें इस भावना को प्रोत्साहित करना चाहिए।

आइए, हम सभी मिलकर यह संकल्प लें कि सत्संग और अन्य धार्मिक गतिविधियों में आर्थिक भेदभाव को समाप्त करेंगे और सभी भक्तों को समान रूप से आदर और सम्मान देंगे। यह कदम हमें सच्चे आध्यात्मिकता की ओर ले जाएगा और समाज को एकता और समृद्धि की दिशा में अग्रसर करेगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

sewa