माता-पिता की सेवा और परिवार का महत्ववर:
"जीवन की दौड़ में हम कितना आगे निकल जाते हैं, लेकिन क्या कभी रुककर यह सोचा है कि जिनकी बदौलत हम यहाँ तक पहुँचे, उनका क्या हाल है? हमारे माता-पिता, जिन्होंने हमें पाल-पोसकर बड़ा किया, आज उनकी सेवा करने का समय आने पर हम कहाँ खड़े हैं? सत्संग में हमें यही सिखाया जाता है कि परमात्मा की पहचान उन लोगों में होती है, जो हमारे सबसे करीब हैं। और हमारे सबसे करीब कौन हैं? हमारे माता-पिता, हमारा परिवार।"
"क्या कभी हमने सोचा है कि अगर हम अपने माता-पिता के साथ अच्छा बर्ताव नहीं करते, उनकी जरूरतों को नजरअंदाज करते हैं, तो फिर बाहर के लोगों की सेवा करने का क्या मतलब है? सत्संग हमें यही सिखाता है कि पहले अपने घर को संवारो, अपने परिवार की जिम्मेदारियों को समझो। अगर हम अपने माता-पिता की सेवा नहीं कर सकते, तो फिर दुनिया में किसी और की सेवा करने का दावा कैसे कर सकते हैं?"
"हमारे माता-पिता हमारे पहले गुरु हैं। उन्होंने हमें जीवन का पहला पाठ पढ़ाया है। उनकी सेवा करना, उनके दुखों को समझना, उनकी खुशियों में शामिल होना, यही तो सच्चा धर्म है। सत्संग हमें यही सिखाता है कि परिवार की समस्या को अपनी समस्या समझो। अगर घर में शांति नहीं है, तो बाहर की शांति का कोई मतलब नहीं है।"
"क्या हमने कभी सोचा है कि बाहर से आए संतों का सम्मान करना अच्छा है, लेकिन अगर हम अपने घर में बैठे माता-पिता का सम्मान नहीं करते, तो यह सम्मान कितना सच्चा है? सत्संग हमें यही सिखाता है कि पहले अपने घर को सजाओ, अपने माता-पिता की सेवा करो, उनके प्रति अपने कर्तव्यों को निभाओ। क्योंकि जो अपने घर को नहीं संवार सकता, वह दुनिया को क्या संवारेगा?"
"आइए, आज ही संकल्प लें कि हम अपने माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानेंगे। उनके प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करेंगे। उनकी खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढेंगे। क्योंकि जब हमारे माता-पिता खुश होंगे, तो हमारा घर खुशहाल होगा, और जब घर खुशहाल होगा, तो हमारा समाज, हमारा देश, हमारी दुनिया भी खुशहाल होगी।"
"माता-पिता की सेवा ही सच्चा सत्संग है। उनके प्रेम और आशीर्वाद में ही जीवन की सच्ची सफलता छुपी है। आइए, इस सच्चाई को अपनाएं और अपने जीवन को सार्थक बनाएं।"