"सत्संग... यह केवल एक सभा नहीं, बल्कि हमारी आत्मा का पोषण है। यह वह पवित्र स्थान है, जहां हम निरंकार प्रभु के ज्ञान को आत्मसात करते हैं। लेकिन आज, हमें एक महत्वपूर्ण सवाल पर ध्यान देने की जरूरत है—क्या हमारे बच्चे भी इस आध्यात्मिक पोषण से लाभान्वित हो रहे हैं?
बच्चे, हमारे परिवार की नींव और समाज का भविष्य हैं। उनकी ऊर्जा, उनका समय और उनकी रुचियां सही दिशा में लगनी चाहिए। लेकिन क्या हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सत्संग का मार्ग हमारे बच्चों के जीवन का हिस्सा बन रहा है? कहीं ऐसा तो नहीं कि हम खुद तो सत्संग में उपस्थित रहते हैं, लेकिन बच्चे पढ़ाई, खेल या अन्य गतिविधियों में उलझे रह जाते हैं?
याद रखें, यह केवल उनके वर्तमान का नहीं, बल्कि उनके पूरे जीवन का सवाल है। सत्संग, सेवा, और सिमरन का महत्व बच्चों को जितनी जल्दी समझ में आ जाए, उतना ही उनके जीवन में स्थिरता और शांति आएगी। अगर हम उन्हें निरंकार प्रभु के मार्गदर्शन में लाना भूल गए, तो उनका ध्यान भटक सकता है। और यह भटकाव उनके जीवन के लिए चुनौती बन सकता है।
सत्संग बच्चों के लिए सीखने और आध्यात्मिकता को समझने का एक अद्भुत अवसर है। यहां उन्हें जीवन का असली अर्थ समझने को मिलता है। यह वह स्थान है, जहां उन्हें यह एहसास होता है कि कैसे सेवा से उनका मन निर्मल होता है, सिमरन से आत्मा शुद्ध होती है, और सत्संग से उनका चरित्र मजबूत बनता है।
हमें चाहिए कि हम अपने बच्चों को सत्संग में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करें। उनके लिए इसे रोचक और उपयोगी बनाएं। उनकी रुचि और उनकी उम्र के अनुसार सत्संग के माध्यम से उन्हें प्रेरित करें। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनकी जिज्ञासा को आध्यात्मिक दिशा में मोड़ें।
जब हमारे बच्चे सत्संग, सेवा, और सिमरन को अपने जीवन का हिस्सा बना लेते हैं, तो उनका जीवन सच्चे अर्थों में सफल और सुखमय बनता है। वे जीवन के हर पहलू में संतुलन और प्रसन्नता पाते हैं।
तो आइए, हम सब मिलकर यह प्रण करें कि न केवल हम, बल्कि हमारे बच्चे भी सत्संग के इस अद्भुत मार्ग पर चलें। हम उन्हें सिखाएं कि यह मार्ग ही जीवन की सच्ची दिशा है।
धन निरंकार जी।"