Type Here to Get Search Results !

Advertise under the article

पुराने महापुरुषों के बच्चे भी सत्संग से दूर होते जा रहे हैं।

 

सत्संग और आधुनिक जीवन: एक बढ़ता हुआ अंतराल

आज के युग में, जहां जीवन की गति तेज हो गई है, लोग आधुनिकता के चकाचौंध में खो जाते जा रहे हैं। इस भागदौड़ भरे जीवन में सत्संग जैसी परंपरागत गतिविधियां धीरे-धीरे पीछे छूटती जा रही हैं। विशेष रूप से, हम देखते हैं कि पुराने महापुरुषों के बच्चे भी सत्संग से दूर होते जा रहे हैं। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जिसके पीछे कई कारण काम कर रहे हैं।

कारण:

  • बचपन से सत्संग से दूरी: बच्चों को बचपन से ही सत्संग में नहीं जोड़ा जाता है। नतीजतन, वे धार्मिक मूल्यों और आध्यात्मिक ज्ञान से दूर होते जाते हैं।
  • आर्थिक महत्वाकांक्षाएं: आज का युग भौतिकवादी है। लोग धन और संपत्ति को जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य मानते हैं। सत्संग में जो त्याग और वैराग्य की बात की जाती है, वह आधुनिक युवाओं को आकर्षित नहीं करती।
  • समय की कमी: व्यस्त जीवनशैली के कारण लोगों के पास सत्संग के लिए समय नहीं होता है।
  • सत्संगों की आधुनिकता से दूरी: कई सत्संग आज भी पुराने तरीकों से चलाए जाते हैं, जो युवाओं को आकर्षित नहीं करते।

सत्संग और आर्थिक स्थिति के बीच विरोधाभास

एक ओर जहां सत्संग में माया त्याग की बात की जाती है, वहीं दूसरी ओर हम देखते हैं कि कई लोग जो सत्संग में जाते हैं, वे खुद ही आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं। यह विरोधाभास युवाओं को सत्संग से दूर कर रहा है। वे सोचते हैं कि सत्संग के सिद्धांत सिर्फ बड़े लोगों के लिए हैं और युवाओं के लिए नहीं।

समाधान:

  • बचपन से सत्संग: बच्चों को बचपन से ही सत्संग में लाना होगा। उन्हें धार्मिक मूल्यों और आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित कराना होगा।
  • आधुनिक तरीकों से सत्संग: सत्संगों को आधुनिक तरीकों से चलाया जाना चाहिए ताकि युवाओं को आकर्षित किया जा सके।
  • समाज सेवा: सत्संगों को समाज सेवा से जोड़ा जाना चाहिए ताकि युवाओं को समाज के प्रति जागरूक बनाया जा सके।
  • सत्संग और आधुनिक जीवन का समन्वय: सत्संग के सिद्धांतों को आधुनिक जीवन के साथ समन्वयित किया जाना चाहिए।
  • सच्चे उदाहरण: सत्संग में आने वाले लोगों को सच्चे उदाहरण पेश करने चाहिए।

निष्कर्ष:

सत्संग और आधुनिक जीवन के बीच एक संतुलन बनाने की आवश्यकता है। हमें सत्संग को आधुनिक युवाओं के लिए आकर्षक बनाना होगा। साथ ही, हमें युवाओं को सिखाना होगा कि आध्यात्मिकता और भौतिकवादी जीवन दोनों ही साथ चल सकते हैं।

यह लेख उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकता है जो:

  • सत्संग और आधुनिक जीवन के बीच के अंतर को समझना चाहते हैं।
  • सत्संग को युवाओं के लिए अधिक आकर्षक बनाने के तरीके जानना चाहते हैं।
  • धार्मिक मूल्यों और आधुनिक जीवन के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए, यह जानना चाहते हैं।

आप क्या सोचते हैं?

आप इस विषय पर अपनी राय दे सकते हैं। आप यह भी बता सकते हैं कि आप इस समस्या का समाधान कैसे देखते हैं। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

sewa