नई दिल्ली: 2024 लोकसभा चुनावों का दौर था और देशभर में 400 सीटों की बात हर जुबान पर थी। जहाँ एक तरफ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का संविधान था, वहीं दूसरी तरफ एक पार्टी थी जो इसे बदलने के इरादे से मैदान में उतरी थी। इस चुनावी जंग में सबसे दिलचस्प पहलू यह था कि दलित और पिछड़े वर्ग के लोग सबसे बड़ी भागीदारी निभाने जा रहे थे। यह खबर सुनते ही पूरे देश में हड़कंप मच गया।
"अगर 400 सीटें मिल गईं तो संविधान बदल जाएगा", इस अफवाह ने चुनावी माहौल में मानो आग लगा दी हो। लोगों ने खुद को आईं भविष्यवाणियों की चकाचौंध में पाया, जिसमें किसानों की जमीन छिनने से लेकर संविधान में विचित्र प्रावधान जोड़ने तक की बातें की जा रही थीं। ऐसा लगता था मानो चुनावी रैलियां अब राजनीतिक मंच नहीं बल्कि किसी कॉमेडी शो का हिस्सा बन गई हों।
लोगों की प्रतिक्रियाएं भी मजेदार थीं। एक युवा मतदाता ने कहा, "भाई, हम तो सोच रहे थे कि 400 सीटें देने से बिजली-पानी फ्री मिलेगा, लेकिन ये तो संविधान बदलने की बात कर रहे हैं। अब तो सोचना पड़ेगा!" वहीं एक बुजुर्ग किसान ने हँसते हुए कहा, "हमारी जमीन छीन लेंगे? पहले हमारे बैल को मना लें, फिर जमीन की बात करेंगे!"
चुनावी माहौल में एक युवक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, "अगर 400 सीटों से संविधान बदल जाएगा, तो हम तो 500 सीटें दे देंगे, जिससे देश को एकदम नया संविधान मिल जाए। शायद इस बार कोई सुपरहीरो वाला संविधान बन जाए!"
इस सबके बीच एक और मजेदार वाकया हुआ। एक नेता जी ने मंच से जोर देकर कहा, "हमारी पार्टी 400 सीटें जीतकर नया संविधान बनाएगी जिसमें हर व्यक्ति को हर रोज़ मुफ्त बिरयानी मिलेगी।" इस घोषणा के बाद लोगों का ठहाका गूंज उठा और सोशल मीडिया पर मीम्स की बाढ़ आ गई।
आज के समझदार युवा ने यह साफ कर दिया है कि वह सिर्फ बड़ी-बड़ी बातों से बहलने वाला नहीं है। वह जानता है कि अपने वोट का सही उपयोग कैसे करना है। इस चुनावी कॉमेडी में भी एक गंभीर संदेश छिपा है कि जनता अब जागरूक है और वह अपने भविष्य के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने देगी।
तो भले ही चुनावी माहौल में 400 सीटों का बोलबाला रहा हो, लेकिन जनता ने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ हास्य और मनोरंजन तक ही इसे सीमित रखने वाली है, अपने विवेक का सही उपयोग करना जानती है।